रहस्यमय और घातक कोरोना वायरस से विश्व की जंग (करो या मरो की स्थिति)

कोरोना वायरस बहुत ही घातक साबित हो रहा है अक्टूबर महीने में थोड़ी राहत देने के बाद यह नवम्बर में फिर से बढने लगा है और करीब करीब सभी देशो को अपनी चपेट में ले लिया है.
अब तक विश्व में करीब 8 करोड़ लोग इससे संक्रमित हो चुके है और करीब 14 लाख लोग संसारभर में इस घातक वायरस से मारे जा चुके है.
सभी देशो की अर्थव्यवस्था को इस कोरोना वायरस ने बहुत नुकसान पहुचाया है.
कोरोना वायरस बहुत ही रहस्य से भरा वायरस है . इस पर वैज्ञानिकों द्वारा काफी शोध चल रहा है. पर अभी तक पता नहीं चला है की यह कैसे मनुष्य के शरीर में प्रविष्ट हुआ. यह पल-पल अपना स्वरुप बदल रहा है और ताकतवर होता जा रहा है.
यह निरंतर अपने लक्षणों में बदलाव कर रहा है. जोकि डॉक्टर और वैज्ञानिको के लिए सरदर्दी है और इस वजह से इसकी दवा खोजने में मुश्किलें आ रही है. पहले कहा गया के यह फेफड़ो को अटैक कर उन्हें कमजोर करता है. फिर कहा गया कई यह 60 साल से ऊपर के लोगो को अधिक संक्रमित करता है.
पर बाद में पाया गया की युवा इसकी चपेट में आ रहे है . यह उनके शुक्राणु और निचले प्रजनन अंगो पर भी अपना प्रभाव डाल रहा है. इसलिए जब तक इसकी दवा नहीं बन जाती और नये लक्षण ठीक से सामने नहीं आ जाते कुछ भी कह पाना सिर्फ तुक्का ही होगा.
कई देश इसकी दवाई बनाने में जुटे है पर अभी तक पूर्ण सफलता किसी को भी नहीं मिल पाई है.
कोई कह रहा है की यह चीन की एक लैब से लीक हुआ. चीन के वैज्ञानिक जैविक हथियारों पर शोध कर रहे थे और ये लीक हो गया. परन्तु अभी तक ये चीन पर अमेरिका द्वारा लगाया गया आरोप है. इसके कोई सबूत नहीं मिले है.
कई जानकारों का मानना है की यह वुहान, चीन की sea-food मार्किट से एक चमगादड़ के माध्यम से फैला. चीन के लोग मांस के लिए सभी प्रकार के जीव-जन्तुओ को खाते है. इसलिए ये तो सत्य है की जानवरों से इंसानों में फैलने वाले अधिकतर वायरस का जन्म चीन में ही हुआ है.
माना की अभी चीन पर आरोप सिद्ध नहीं हुए है. पर एक बात तो साफ है की चीन ने कई महत्वपूर्ण जानकारियों को विश्व स्वाथ्य संगठन से भी छुपाया. कोरोना वायरस से मरने वाले आंकड़ो में भी हेर-फेर की गयी.
चीन में जिस डॉक्टर ने सबसे पहले इस वायरस को उजागर किया उनको भी गंभीरता से नहीं लिया गया. कुछ समय बाद उसकी रहस्यमय हालत में मौत हो गयी.
उसके बाद रहस्यमय तरीके के करीब 1 करोड़ मोबाइल सब्सक्राइबर चाइना में कोरोना महामारी के दौरान गायब हो गए. जोकि की जाँच का विषय है..
स्पनिश फ्लू करीब 100 साल पहले 1918 में फैला था जिसने विश्वभर में तबाही मचाई. उस समय विज्ञान और स्वाथ्य सेवाये का विकास नहीं हुआ था. परन्तु इस युग में जब विज्ञान और स्वाथ्य सेवाये अपने उच्च शिखर पर है. एक कोरोना वायरस द्वारा इतनी तबाही मचाना हैरान करने वाला है.
या ये फिर धरती माँ का प्रकोप है मनुष्य ने अपनी पूंजीवादी और उपभोगवादी नीति के कारण धरती माँ को पूर्णरूप से दूषित कर दिया है. शायद इस महामारी से ही प्रकृति विश्व में पर्यावरण और जनसंख्या का संतुलन बनाना चाहती है.
क्योकि भले ही कोरोना महामारी मानव जाति पर भारी पड़ रही है. पर प्रकृति के लिए ये वायरस वरदान है .पुरे विश्व में जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण में कमी आयी है. 24 घंटे भागने वाले मनुष्य के रफ़्तार कोरोना ने थाम दी है.
चलिए देखते है की प्रकृति और विज्ञान की इस जंग का कब अंत होगा और कब विश्व को इस रहस्यमय और ना दिखनेवाले वायरस से मुक्ति मिलेगी . जिसने विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को भी धूल चटाई और घुटनों पर ला के रख दिया.
सभी देशो की सरकार और डॉक्टर की कड़ी मेहनत और प्रयास के बावजूद कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ चुकी है. जोकि एक चिंता का विषय है.
कोरोना वायरस के वजह से भारत की जीडीपी अपनी सबसे निचली स्तर पर आ गयी है. वस्तुओ और सर्विसेज की मांग में भारी गिरावट देखने को मिली है जोकि भारत जैसे विकासशील देश के लिए चिंता का विषय है.
बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर है . बैंक के पास पूंजी है पर मांग बहुत कम होने के कारण कोई भी नयी पूंजी को नये व्यापार में नहीं लगाना चाहता है .
एक बात बहुत हैरान करने वाली है की सारी आर्थिक गतिविधियों कोरोना के कारण अपने निचले स्तर पर है. पर इसके बावजूद भी शेयर मार्किट अपने उच्चतम स्तर को छू रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी के सामने बड़ी विकट परिस्थितयां है एक तरह कुआ है तो दूसरी तरफ खाई. भारत एक विकासशील देश है तो अब दूसरा सम्पूर्ण लॉकडाउन लगाना केंद्र सरकार के लिए संभव नहीं है नहीं तो अर्थव्यवस्था पूर्ण रूप से चौपट हो जाएगी.
परन्तु अगर लॉकडाउन नहीं लगाया तो कोरोना वायरस तेजी से फैल सकता है और कई जान भी ले सकता है.
भारतीय ज्योतिष भी इस कोरोना वायरस के आगे पूर्ण रूप से असफल हो गए है और उनकी सारी गणना फैल हो गयी है. सूर्य अपनी उच्च और निम्न दोनों राशियों पर गोचर कर चूका है पर कोरोना का प्रभाव कम नहीं हो रहा है. अब ज्योतिष कह रहे है की मई 2021 तक इस पर काबू हो पायेगा. गुरु और शनि के युति भी 20 नवम्बर, 2020 से हो गयी है. देखते है यह धर्मपति और कर्मपति की जोड़ी कोरोना पर क्या प्रभाव डालती है.
हर देश कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा कर रहे है और उन्हें पता है की यह अरबों-खरबों का व्यापार है.
जो देश सबसे पहले सफल कोरोना वैक्सीन बनाएगा वही स्वस्थाय संबंधित सेवाओं पर राज करेगा और मोटा मुनाफा कमाएगा.
इन्टरनेट पर कोरोना सम्बन्धित हजारो जानकारी है पर बचाव ही सुरक्षा है. मास्क पहनकर और हाथ धोकर हम इसने बचाव कर सकते है. कुछ लोग इसे मात्र एक छोटा सा सर्दी जुकाम और फ्लू कह रहे है.
वो दलील दे रहे है की यह सब एक साजिस है विश्व की जनसंख्या को अपने नियंत्रण में लेने की, सच्चाई क्या है यह तो भविष्य में पता चलेगा परन्तु वर्तमान में कोरोना वायरस के तांडव को झेलना सभी की लिए मुश्किल हो रहा है .
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