60 वर्ष बाद गुरु और शनि की मकर में प्रभावी युति

देवताओ के गुरु ब्रह्शपति और कर्मपति शनि की 20 नवम्बर, 2020 को युती हो गई है.
ज्योतिष के जानकारों के हिसाब से ये युति विश्व के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस युति से विश्व में कई बड़ी घटनाये घटित होगी (आर्थिक, सामाजिक, वैश्विक) जिससे विश्व में एक बहुत बड़ा परिवर्तन होगा.
गुरु और शनि दोनों बहुत विशाल ग्रह है. दोनों सूरज से बहुत दूर है और दोनों ही बहुत ठंडे ग्रह है.
इसलिए आनेवाले एक साल में और मुख्य रूप से जनवरी से लेकर मार्च तक विश्व के कई भागो में कड़ाके के ठंड पड़ सकती है. 2020-21 में कई स्थानों में भारी हिमपात होने के आशार भी है.
सामान्य तापमान 3 से 4 डिग्री नीचे जा सकता है. शनि अपनी उच्च राशी मकर में है और गुरु अपनी नीच राशी मकर में है. यह सब भारत के उत्तर पूर्वी राज्जो में होगे की अधिक सम्भावना है.
गुरु का नीच भंग योग बन रहा है गुरु कालपुरुष की कुंडली गुरु धर्म, सोना, लेखन, प्रकाशन, भाग्य, धर्मगुरु, देवस्थान, गुरु, न्याधीश, वकील, शिक्षा, स्कूल, ज्ञान और बुद्धि का कारक है. इन सभी चीजों में उतार-चड़ाव देखने को मिल सकता है.
इससें पहले यह युति 1960 में हुई थी. शनि कालपुरुष की कुंडली में जड़ता, आलस, रूकावट, चमड़े, दुःख, दुष्ट से मित्रता, मणि, लोहा, वायु, नागलोक, पतन, युद, तेल , लकड़ी, डर-भय, बकरी-भैस, यम और म्रत्यु का कारक है.
शनि खासकर क्रुड आयल का कारक है तो क्रुड आयल की कीमतों में बढोतरी हो सकती है.
गुरु और शनि दोनों एक दुसरे से विपरीत ग्रह है. एक और गुरु ज्ञान और जीवन कारक है. तो दूसरी और शनि दुख, भय और मौत का कारक है.
जब तक दोनों एक दुसरे के साथ युति में रहते है तो संसार में भयंकर तूफान भी आ सकते है.
विश्व के मौसम में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हो सकता है. यह समय कृषि और किसानों के लिए बेहद उतार-चड़ाव वाला होगा जहाँ पर उन्हें हिमपात, तेज बारिश, ओलावृष्टि और बेमौसम के तुफानों का सामना करना पड़ सकता है.
यह परिवर्तन 60 साल बाद हो रहा है तो विश्व एक युग परिवर्तन की और जा सकता है. जिसमे की साधना और समाधि दोनों हो सकते है. योग और भोग का मिलन भी हो सकता है. क्योकि युति धर्म और कर्म के कारको के बीच है.
कोई अपनी मुक्ति की और बढेगा और कोई अपने पतन के और न्याय के देव शनि देव न्याय देने के मामले में बहुत ही बेरहम है और कोई कंजूसी नहीं बरतते.
कई देश जोकि तानाशाह की तरह राज करते है वह गृह युद्ध की और जा सकते है.
कोरोना महामारी अपनी चरम सीमा पर जाकर समाप्त हो सकती है. लेकिन यह थोडा मुश्किल होगा क्योकि जीवन और प्राण के कारक गुरु नीच के है.
तीसरे विश्व युद्ध के सम्भावनाये तो कम है है पर फरवरी में छह ग्रह की युति होगे जा रही है तो परिस्थितयां गंभीर हो सकती है.
अधात्मिक उन्नति के लिए यह समय अनुकूल रहेगा.